तदा मोक्षो यदा चित्तमसक्तं सर्वदृष्टिषु ॥ ३ ॥ तब बंधन है जब मन किसी भी दृश्यमान वस्तु में आसक्त है, तब मुक्ति है जब मन किसी भी दृश्यमान वस्तु में आसक्तिरहित है ॥ ३ ॥ यदा नाहं तदा मोक्षो यदाहं बन्धनं तदा।
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तदा मोक्षो यदा चित्तमसक्तं सर्वदृष्टिषु ॥ ३ ॥ तब बंधन है जब मन किसी भी दृश्यमान वस्तु में आसक्त है, तब मुक्ति है जब मन किसी भी दृश्यमान वस्तु में आसक्तिरहित है ॥ ३ ॥ यदा नाहं तदा मोक्षो यदाहं बन्धनं तदा।